महिला आरक्षित “घुम्मनहेड़ा वार्ड” के बने दो ध्रुव – घुम्मनहेड़ा व कांगनहेड़ी
दोनों गावों में हो रही “आप” व भाजपा की टिकटों पर माथा-पच्ची !
नई दिल्ली, जनवरी 29 (दिल्ली क्राउन): जब से दिल्ली चुनाव आयोग ने निगम के वार्डों में फेरबदल का ऐलान किया है, तब से “घुमन्हेड़ा वार्ड” (40-S) के अंतर्गत आने वाले दो गावों – घुम्मनहेड़ा और कांगनहेड़ी, में बैठकों का सिलसिला जोर पकड़ चुका है।
बता दें कि मौजूदा मटियाला (विधान-सभा) से विधायक घुम्मनहेड़ा गांव से है, जबकि मौजूदा पार्षद कांगनहेड़ी गांव का निवासी है। दोनों ही आम आदमी पार्टी (आप) से ताल्लुक रखते हैं।
पिछले निगम चुनाव में यह वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था, लेकिन 26 तारीख को हुई फ़ेरबदलि के बाद इसको महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया।
सूत्रों के माने तो घुम्मनहेड़ा गांव में खींचतान “आप” पार्टी की टिकट को लेकर ज्यादा है, वहीँ दूसरी तरह कांगनहेड़ी गांव में जद्दोजहत भाजपा की टिकट पर दिखाई पड़ती है। हाँ, एक-दो अपवाद भी दोनों गावों में हैं।
पिछले दो दिनों में इन दोनों गावों में बैठकों के कई दौर हो चुके हैं। टिकट फाइनल होने तक ये दौर जारी रहेंगे, ऐसा माना जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि रस्साकसी सिर्फ दो पार्टियों की टिकटों को लेकर ही है, जबकि “ग्रैंड ओल्ड पार्टी” कहलाने वाली कांग्रेस की टिकट की चर्चा तक नहीं है।
और भी दिलचस्प बात यह है कि महिला आरक्षित वार्ड होने के बावजूद भी इन बैठकों में सिर्फ और सिर्फ पुरुष लोग ही शामिल होते हैं, और चर्चा होती कि किसकी पत्नी को चुनाव में उतारा जाए।
मतलब साफ़ है कि महिला सशक्तिकरण के उद्देशय को हांसिल करने के लिए भी पुरुषों की भूमिका अहम् है !
पत्नियों के नाम का विस्तार हो चुका है। अब उनका नाम उनके पति के साथ जोड़कर पोस्टर-बैनरों पर छपवाया जाने लगा है। ऐसे पोस्टर/बैनर व्हाट्सप्प, व अन्य सोशल मीडिया, पर खूब शेयर किये जाने लगे हैं।
इस वार्ड में लगभग 25 गांव हैं लेकिन टिकेटों को लेकर राजनीतिक उठापटक इन्ही दो गावों में देखी जा रही है।
टिकटों की उधेड़बुन में लगे लोगों पर नज़र डालें तो ज्यादातर धन-पशु हैं। इसलिए अभी से कयास लगाए जाने लगे हैं कि इस वार्ड में चुनावी खर्चा भी खूब होने वाला है !
लोगों की माने तो पिछले चुनाव में कांगनहेड़ी के बासिंदों ने पैसा इक्कट्ठा कर अपने गांव के प्रत्याशी को चुनावी जंग में जिताया था। अर्थात, माजूदा पार्षद की अपनी अठन्नी भी खर्च नहीं हुई थी। परन्तु इस चुनाव में वोट मिलने में “नोट” की एक अहम् भूमिका रहने वाली है, ऐसी कानाफूसी है !!