‘नटवरलाल’ वकील उमेश शर्मा के गाल पर तीस हज़ारी कोर्ट का करारा थप्पड़

'नटवरलाल' वकील उमेश शर्मा के गाल पर तीस कोर्ट का करारा थप्पड़
दो याचिकाएं रद्द करते हुए जज विकास मदान ने कहा “www.thedelhicrown.com” का कोई कसूर नहीं
दिल्ली क्राउन ब्यूरो
नई दिल्ली: बिहार के भागलपुर जिले से दिल्ली आने के बाद यहीं की एक औरत से शादी करके राजधानी में बसने वाला “नटवरलाल” वकील उमेश शर्मा के गाल पर तीस हज़ारी कोर्ट की एक अदालत ने झूठी याचिकाएं लगाने पर ज़ोरदार तमाचा मारा है।
दोनों याचिकाएं इस अखबार “www.thedelhicrown.com” के खिलाफ ही लगाई गईं थी।
अपनी याचिकाओं में वकील उमेश शर्मा ने झूठे आरोप लगाए थे कि “www.thedelhicrown.com” ने गलत तरह से रिपोर्टिंग की थी और कोर्ट के कागजातों का हवाला देते हुए झूठे लेख छापे थे।
अपनी याचिकाओं में वकील उमेश शर्मा ने “www.thedelhicrown.com” के खिलाफ मानहानि का दावा भी किया था।
असल में बीते कुछ वर्षों में “www.thedelhicrown.com” ने “नटवरलाल” वकील उमेश शर्मा के कुछ काले कारनामे छापे थे, जिसमे उसके औरतबाज़ी के कई किस्से भी शामिल थे। वकील उमेश शर्मा के गंदे चाल-चलन के कारण उसकी बीवी “वकील सुनीता भारद्वाज” और उसके दोनों व्यसक बच्चों ने उसे घर से बहार निकाला हुआ है, और उसको सारी सम्पत्तियों से बेदखल भी किया हुआ है।
कभी दक्षिणी-दिल्ली की एक पॉश कॉलोनी में रहने वाला वकील उमेश शर्मा, आज उत्तरी-दिल्ली में एक झुग्गी में रहने पर मजबूर है। उसने अपनी बीवी और बच्चों के खिलाफ ही अनगिनत कोर्ट केस और पुलिस शिकायतें की हुई हैं, जो कि पिछले कई सालों से लंबित हैं।
यहाँ यह बताना भी ज़रूरी है कि वकील उमेश शर्मा की पत्नी “वकील सुनीता भरद्वाज”, जो की मूलतः दिल्ली के “पूठ-खुर्द गांव” की रहने वाली है और फिलहाल आर.के. पुरम में रहती है, ने खुद कई लंबित मामलों में अपने पति पर औरतबाज़ी के आरोप लगाए हुए हैं। इन कोर्ट मामलों में वकील सुनीता भरद्वाज ने अपने पति उमेश शर्मा और एक अन्य औरत – “छाया शर्मा” – के बीच नाजायज़ रिश्तों के बारे में भी खुलासा किया हुआ है।
“www.thedelhicrown.com” ने महज़ उन कागज़ातों को पढ़कर, वकील उमेश शर्मा के काले कारनामों और उसके गंदे चरित्र को उजागर किया था।
मजे की बात तो ये है कि जिस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उमेश शर्मा की याचिकाएं रद्द की हैं, उसका नाम/टाइटल भी “छाया शर्मा बनाम the दिल्ली क्राउन” है!
तीस-हज़ारी कोर्ट की एक दीवानी अदालत (civil court) के सीनियर जज विकास मदान ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा – “हमने सभी लेखों को पढ़ा। “www.thedelhicrown.com” ने अपने लेखों में इस कोर्ट का किसी भी तरह से तिरस्कार नहीं किया, और ना ही किसी कानून का उलंघन किया। अपने लेखों में “www.thedelhicrown.com” ने इस कोर्ट के कई आदेशों का हवाला देते हुए उनको छापा है। कोर्ट का हर आदेश पब्लिक-डोमेन में रहता है, और उनको छापना न्याय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं है। इसलिए यह कोर्ट दोनों याचिकाओं को रद्द करता है।”
जज विकास मदान ने अपने आदेश में यह भी कहा – “अगर वादी (छाया शर्मा) और उसके वकील उमेश शर्मा को लगता है कि उनकी प्राइवेसी का उलंघन हुआ है, तो उन्हें किसी अन्य उचित मंच पर अपनी गुहार लगानी चाहिए। “www.thedelhicrown.com” ने इस कोर्ट का किसी भी तरह से तिरस्कार नहीं किया।”