पीएम मोदी ने सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम मूर्ति का किया अनावरण
प्रधानमंत्री ने नेताजी की 125 वीं जयंती पर संसद में पुष्पांजलि अर्पित की
नई दिल्ली, 23 जनवरी (दिल्ली क्राउन): आज स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को संसद में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। आज पूरा देश सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती माना रहा है। पूरा देश इस दिन को पराक्रम दिवस के तौर पर भी मनाता है। ये पराक्रम दिवस नेता जी सुभाष चंद्र बोस के पराक्रम को समर्पित है। देश की आजादी के लिए उनके बलिदान को समर्पित है। आज उन्हीं की याद में इंडिया गेट पर उनकी प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी आज इंडिया गेट पर नेताजी की होलोग्राम मूर्ति का अनावरण करेंगे। नेताजी की प्रतिमा जब तक तैयार नहीं हो जाती, तब तक उसकी जगह होलोग्राम मूर्ति उसी जगह स्थापित रहेगी।
देश आज स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस को याद कर रहा है। आज यानी 23 जनवरी के दिन वर्ष 1897 में ओडिशा के कटक में उनका जन्म हुआ। नेताजी का पूरा जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। उनकी मौत आज भी हर किसी के लिए एक रहस्य है।एक बार फिर से ताइवान ने नेताजी की मौत पर सवाल उठाते हुए अपने राष्ट्रीय अभिलेखागार (national archives) को इसकी जांच करने के आदेश दिए हैं।सूत्रों के मुताबिक, नेताजी की मौत के बाद जापान की एक संस्था ने एक खबर जारी कर बताया था कि सुभाष चंद्र बोस का विमान ताइवान में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई। किसी देश की संस्था से ऐसा बयान आने पर इस हादसे को सच माना जा सकता था, लेकिन कुछ ही दिन बाद जापान सरकार ने पुष्टि करते हुए कहा था कि ताइवान में उस दिन कोई विमान हादसा नहीं हुआ। इस बयान से संशय और बढ़ गया कि जब कोई विमान हादसा हुआ ही नहीं तो नेताजी गए कहां?
हालांकि, भारतीय दस्तावेजों के मुताबिक, सुभाष चंद्र बोस की मौत 18 अगस्त 1945 में एक विमान हादसे में हुई। माना जाता है कि सुभाष चंद्र बोस जिस विमान से यात्रा कर रहे थे। वह रास्ते में लापता हो गया। उनके विमान के लापता होने से ही कई सवाल खड़े हो गए कि क्या विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था? क्या सुभाष चंद्र बोस की मौत एक हादसा थी या हत्या? बता दें कि ताइवान, जो 1940 के दशक में जापान के कब्जे में था, वह आखिरी देश था, जिसने नेताजी को जीवित देखा था। जबकि आम सहमति है कि 1945 में ताइवान में एक दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी।
सूत्रों की मानें तो सुभाष चंद्र बोस की मौत इसलिए भी रहस्य बनी हुई है क्योंकि आरोप लगा कि उस समय जवाहर लाल नेहरू ने बोस के परिवार की जासूसी कराई थी। इस मुद्दे पर आईबी की दो फाइलें सार्वजनिक हुई, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया। इन फाइलों के मुताबिक, आजाद भारत में करीब दो दशक तक आईबी ने नेताजी के परिवार की जासूसी की। कई लेखकों ने इसके पीछे तर्क देते हुए कहा कि नेहरू को भी सुभाष चंद्र बोस की मौत पर शक था, इसलिए वह बोस परिवार के पत्र की जांच करवाते थे ताकि अगर कोई नेताजी परिवार से संपर्क करें तो पता चल सके।