पुराने कांग्रेसी व देवी लाल के चेले जगदीप धनखड़ नहीं रहे भारत के उपराष्ट्रपति

पुराने कांग्रेसी व देवी लाल के चेले जगदीप धनखड़ नहीं रहे भारत के उपराष्ट्रपति
खराब स्वास्थ का हवाला देते हुए दिया पद से इस्तीफ़ा
दिल्ली क्राउन ब्यूरो
नई दिल्ली: सोमवार की रात को अचानक से खबर आई कि भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। सोशल मीडिया “X” पर एक पोस्ट के जरिए धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफ़ा सौंपा। इस्तीफे में धनखड़ ने अपने खराब स्वास्थ और डाक्टरों की सलाह का हवाला दिया।
धनखड़ के अचानक दिए इस्तीफे ने दिल्ली और देश के सत्ता के गलियारों में हड़कंप मचा दिया। कई तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं। एक वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष के अनुसार, “पिछले कुछ दिनों से कुछ घटनाओं की वजह से धनखड़ दुखी थे, परेशान थे। धनखड़ के इस्तीफे के पीछे कुछ राज़ जरुरु हैं, और अगले दो-तीन दिनों में सब साफ़ हो जाएगा।”
गौरतलब है कि सोमवार को ही देश की संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ था। दिन में धनखड़ राज्य सभा के चेयरमैन के रूप में सदन में उपस्थित रहे और शाम तक कई औपचारिक बैठकें भी करी थी।
अगर आज रात ही धनखड़ का इस्तीफ़ा मंज़ूर हो जाता है तो भारत सरकार को अगले कुछ ही घंटों में अगले उपराष्ट्रपति चुनाव की घोषणा करनी होगी। चूँकि संसद सत्र चल रहा है, तो यह भी संभावना है कि औपचारिकता के तौर पर राष्ट्रपति मुर्मू अगला चुनाव होने तक धनखड़ को ही कार्यवाहक उपराष्ट्रपति बने रहने को कह दें।
भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी उपराष्ट्रपति ने स्वास्थ का हवाला देते हुए इस्तीफ़ा दिया हो।
ज्ञात हो कि पिछले साल ही राज्य सभा के कुछ (करीब 55) सांसदों ने उपराष्ट्रपति धनखड़ को हटाने के लिए महाभियोग लाने की सिफारिश की थी। हालांकि महाभियोग की सिफारिश निरस्त कर दी गई थी।
भाजपा में आने से पहले, धनखड़ कांग्रेस पार्टी के राजस्थान से विधायक रहे थे। उस से पहले धनखड़ जनता दल से लोक सभा के सांसद भी रहे।

(एक पुरानी फोटो में जगदीप धनखड़ अपने राजनीतिक गुरु देवी लाल के साथ)
धनखड़ का देवी लाल से रिश्ता –
राजस्थान के झुंझनू जिले के रहने वाले जगदीप धनखड़ का हरियाणा से गहरा रिश्ता है। हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से लेकर देश के उप-प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे ताऊ देवीलाल ने जगदीप धनखड़ को राजनीति में बड़ा ब्रेक दिया था।
बात वर्ष 1987 की है। उस समय राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे। देवीलाल ने दिल्ली के बोट-क्लब पर विपक्षी दलों की रैली का आह्वान किया था। रैली को “विजय रैली” का नाम दिया गया था।
देवीलाल के बुलावे पर आन टी रामाराव, प्रकाश सिंह बादल, चंद्रशेखर, रामकृष्ण हेगड़े और वीपी सिंह सरीखे तमाम बड़े नेता उस विजय रैली का हिस्सा बने थे। उस समय जगदीप धनखड़ राजस्थान हाईकोर्ट, जयपुर में प्रैक्टिस करते थे। राजनीति का नया-नया शौक चढ़ा था।
किसान पृष्ठभूमि के होने के नाते दिल में किसानों एवं कामकाजी वर्ग के लिए कुछ करने की चाह थी। उस समय हरियाणा एवं पंजाब के साथ-साथ राजस्थान में भी देवीलाल का नाम था, इसलिए जगदीप धनखड़ उनसे खासे प्रभावित थे। विजय रैली में जगदीप धनखड़ झुंझनू से करीब 500 खुली जीप लेकर दिल्ली बोट क्लब पर पहुंचे थे।