रीमेक बनाना बेहद मुश्किल काम है – शाहिद कपूर

रीमेक बनाना बेहद मुश्किल काम है - शाहिद कपूर

रीमेक बनाना बेहद मुश्किल काम है - शाहिद कपूर

नई दिल्ली, अप्रैल 9 (दिल्ली क्राउन): क्रिकेट बैकग्राउंड पर आधारित शहीद कपूर की फिल्म “जर्सी” 14 अप्रैल को रिलीज हो रही है। इस फिल्म में शाहिद के साथ मृणाल ठाकुर मुख्य भूमिका में नजर आएंगी। हाल ही में दिल्ली के होटल में फिल्म ‘जर्सी’ के प्रमोशन के दौरान शाहिद कपूर ने मूवी से जुड़ी कई बातें शेयर की अर्पणा यादव के साथ।

अर्पणा फिल्म ‘जर्सी’ ‘ का ऑफर आपको अब मिला?

शाहिद – तेलुगू फिल्म ‘जर्सी’ के रीमेक का ऑफर ‘कबीर सिंह’ की रिलीज के दो हफ्ते पहले आया था और उस दौरान मैं और भी स्क्रिप्ट्स पढ़ और सुन रहा था। फिल्म ‘जर्सी’ की स्क्रिप्ट ने इस कदर दिल को छू लिया कि मैं बेहद भावुक हो गया था और रोने‌ लगा था, और ऐसे में मीरा और मैनेजर दोनों ही मेरी हालात देखकर हैरान रह गए थे।

अर्पणा इस फिल्म को साइन करने की कोई खास वजह?

शाहिद – मैंने ‘जर्सी’ को इसीलिए चुना क्योंकि मैं खुद को इस फिल्म से बेहद कनेक्टेड महसूस किया था।

अर्पणा – तेलुगू फिल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ की रीमेक ‘कबीर सिंह’ के फौरन बाद एक और तेलुगू फिल्म‌ की रीमेक ‘जर्सी’ में काम करने पर क्या फील किया आपने?

शाहिद – दोनों फिल्मों में काम करने के बाद इस बात का एहसास हुआ है कि रीमेक बनाना बेहद मुश्किल काम है। कुछ मामलों में तो ओरिजनल कैरेक्टर से अधिक कठिन काम होता है रीमेक में वही रोल निभाना क्योंकि आपका निभाया किरदार फ्रेश लगना चाहिए ना कि मूल किरदार की नकल।

अर्पणा – इस फिल्म के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी?

शाहिद – बहुत मेहनत करनी पड़ी। चार महीने की ट्रेनिंग की। हमने बॉम्बे में शुरुआत की और हार्ड पिच पर खेलना शुरू किया।  थ्रोडाउन के साथ शुरुआत की। मैंने चार महीने तक 4-5 घंटे क्रिकेट खेला और फिर सेट पर भी मेहनत करता था।

अर्पणा – सुनने में आया है कि शूटिंग के दौरान आपको काफी चोट भी आई है?

शाहिद – जी हां, क्रिकेट खेलने की काफी प्रैक्टिस की और इस दौरान  कई गंभीर चोटें भी आई। लेकिन इन सब के बावजूद भी हम लोगों ने शूटिंग के दौरान काफी मस्ती भी की। फिल्म के हर शॉट में असली सीजन बॉल का इस्तेमाल किया गया है और जिन सीन्स में चौके और छक्के लगते हुए दिखाए गये हैं, वो असल में मारे गये चौके-छक्के हैं।

अर्पणा – क्रिकेट मैच से जुड़े सीन्स कहां शूट हुए?

शाहिद – क्रिकेट मैच से जुड़े फिल्म के सीन्स को चंडीगढ़ के मोहाली क्रिकेट स्टेडियम में शूट किया गया है, जिसे देश का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम माना जाता है।

अर्पणा – क्या मूवी में कुछ स्पेशल इफेक्ट यूज किया गया है?

शाहिद – फिल्म में एक भी स्पेशल इफेक्ट यूज नहीं किया गया है। फिल्म को वास्तविकता के करीब रखने के लिए हमने राज्य स्तर के खिलाड़ियों के साथ पिचों पर क्रिकेट खेला है।

अर्पणा – जिस दिन ‘जर्सी’ रिलीज़ हो रही है उसी दिन ‘बीस्ट’ और ‘केजीएफ 2’ सिनेमाघरों में पहुंचेगी। इस बारे में आपको क्या कहेंगे?

शाहिद – बस ये इतनी सी बात है कि हम फिल्म को रिलीज कर रहे हैं, इसका मतलब ये बिलकुल सही समय है। वरना हम नहीं करते। फिल्म को रिलीज करने का ये सही समय है। मुझे लगता है कि अगर आप दोनों को एक साथ रखते हैं, तो ये दोनों ही एक दूसरे से काफी अलग हैं। मैं  ‘केजीएफ 2’  बधाई देता हूं। मैं विजय का बहुत बड़ा फैन हूं और उनकी मूवीज को पसंद करता हूं। वो एक बेहतरीन डांसर हैं और मैं भी डांस को पसंद करता हूं। मुझे लगता है कि ‘बीस्ट’ एक अच्छी फिल्म होगी लेकिन इस समय मार्किट थोड़ी अलग है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि ज्यादा फर्क पड़ेगा।’ शहीद कपूर ने अपने इस इंटरव्यू में ‘केजीएफ 2’ के लिए शुभकामनाएं दी हैं।

अर्पणा – क्या रियल लाइफ में क्रिकेट खेलना पसंद हैं?

शाहिद – मुझे असल जिंदगी में स्कूल के दौरान क्रिकेट खेलना बेहद पसंद था। 25 साल बाद एक बार फिर से हाथ में बैट और बॉल उठाना और फिल्म के लिए क्रिकेट खेलना‌ मेरे लिए आसान काम नहीं था।

अर्पणा – अपने पिता (पंकज कपूर) के साथ काम करके कैसा लगा?

शाहिद – फिल्म ‘मौसम’ में मैंने पापा के साथ काम किया था और अब ‘जर्सी’ के जरिए एक बार फिर से उनके साथ काम किया है। इस फिल्म मेरे पिता यानि पंकज कपूर, जो इस फिल्म में कोच की भूमिका निभा रहे हैं। उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा। मुझे आज भी पापा के साथ काम करने में बेहद डर लगता है और मैं नर्वस हो जाता हूं , मगर उनके साथ काम करने का अपना ही मजा भी है। अपने पिता के साथ एक ही फ्रेम में खड़े होकर एक्टिंग करना उन्हें कई तरह के सबक सिखाता है।

अर्पणा – क्या आप अपने पिता पंकज कपूर की तरह लिखना शुरू करेंगे?

शाहिद – मुझे नहीं लगता कि मेरे में लिखने की क्षमता है। पापा यानी पंकज कपूर एक सपने की तरह लिखते हैं और मुझको उनके बहुत सारे काम पढ़ने का सम्मान मिला है। मुझे नहीं लगता कि मेरी में वह प्रतिभा है।

अर्पणा – क्या आप अभी निर्देशन में कदम रखेंगे?

शाहिद – मैं अभी एक्टिंग छोड़ने को तैयार नहीं हूं। डायरेक्टिंग एक फुल टाइम जॉब है और इसे उस बदलाव की जरूरत है। मेरे दिमाग में एक कहानी भी नहीं है। राइटिंग और डायरेक्टिंग दोनों ऐसी चीजें हैं जिनके लिए आपको पूरी तरह से वहां रहने की जरूरत है जो अभी मेरे दिमाग में नहीं है।

अर्पणा –  बड़े बजट की फिल्मों के बारे में आपका क्या कहना है?

शाहिद – देखिए, कबीर सिंह के बाद सभी कह रहे थे कि मुझे 150 करोड़ रूपए की फिल्म करनी चाहिए। लोग मुझे ज्यादा पैसा देना चाहते हैं। मैंने कहा हां जरूर पैसा मिलेगा, लेकिन फिल्म का क्या। एक बड़ी फिल्म और अच्छी फिल्म बनाने में अंतर है। मुझे नहीं लगता कि एक बड़े बजट की फिल्म दर्शकों को थिएटर तक ले आएगी। अगर आप चाहते हैं कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर चले तो फिल्म को दर्शकों से कनेक्ट होना चाहिए। मैं फिल्मों को लेकर अपने दिल को फॉलो कर रहा हूं, फिल्म के साइज को नहीं देख रहा। मेरे लिए फिल्म का दिल ही फिल्म का साइज है। मैं बड़े बजट की फिल्मों को करने से डरता हूं क्योंकि व हां चीजें आपके हाथ से चली जाती हैं। मैं ये नहीं मानता कि अगर आप बहुत पैसा खर्च करेंगे तो ज्यादा से ज्यादा ऑडियंस वहां आएगी।

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