महाबल मिश्रा ने अपनी भाजपाई प्रतिद्वंदी कमलजीत सहरावत को बताया “कम्पाउण्डर” !

महाबल मिश्रा ने अपनी भाजपाई प्रतिद्वंदी कमलजीत सहरावत को बताया "कम्पाउण्डर" !

महाबल मिश्रा ने अपनी भाजपाई प्रतिद्वंदी कमलजीत सहरावत को बताया "कम्पाउण्डर" !

बोले “कमलजीत को संसदीय काम सीखने में लग जाएंगे 5 साल” जबकि उनको सांसद होने का तज़ुर्बा है !!

दिल्ली क्राउन ब्यूरो

नई दिल्ली: आम चुनाव के चलते दिल्ली में 25 मई को मतदान होना है। चुनाव प्रचार ज़ोर पकड़ता जा रहा है, तापमान 48 डिग्री सेल्सियस छूने को है, और ऐसे मौसम में राजनीतिक-तपत भी बढ़ती जा रही है। 2014 व 2019 के चुनावों के ठीक विपरीत, इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) का मजबूत गठबंधन भाजपा के पसीने छुटाने को लालायित दिखाई पड़ता है।

जबकि कांग्रेस तीन सीटों पर चुनावी मैदान में है, AAP के चार उम्मीदवार भाजपा के सामने ताल ठोक रहे हैं। पश्चिमी-दिल्ली लोक-सभा क्षेत्र “आम आदमी पार्टी” के पाले में है।

अक्सर अपने आप को दिल्ली की राजनीति का “लालू यादव” बताने वाले पश्चिमी-दिल्ली से पूर्व सांसद और इस बार AAP की टिकट पर चुनाव लड़ रहे महाबल मिश्रा ने आज अपनी भाजपाई प्रतिद्वंदी कमलजीत सेहरावत को एक “कम्पाउण्डर” बता दिया !

एक टीवी इंटरव्यू में 70-वर्षीय महाबल मिश्रा ने अपने राजनीतिक तज़ुर्बे के सामने 52-वर्षीय कमलजीत सहरावत को बोना साबित करते हुए कहा कि वह तो अपने काम के बलबूते जनता से वोट मांग रहे हैं, जबकि उनकी प्रतिद्वंदी मोदी के नाम पर वोट मांगने को मजबूर हैं।

एक प्रश्न के जवाब में, मिश्रा ने अपने चिर-परिचित ठेठ बिहारी अंदाज़ में कहा – “काम जिसको आएगा वो ही करेगा ना। यहाँ की जनता कहता है की एक्सपीरिएंस्ड डॉक्टर से दवा कराना है ना कि कम्पाउण्डर से ?”

उन्होंने आगे कहा – “दोनों में अंतर है। ये (कमलजीत सहरावत) अभी प्राइमरी स्टेज पर ही है, उनको पांच बर्ष सीखने में लगेगा। कमलजीत जी अपने नाम पर तो वोट मांग नहीं रही है। वो तो मोदी जी के नाम पर वोट मांग रही है। हम तो कहते हैं कि मोदी जी का नाम हटा दें, और हम दोनों आमने सामने बैठे और हर कॉलोनी में कंबाइंड मीटिंग हो, ओ भी बोले, हम भी बोलें, और जो फैसला जनता करेगी वो हो जाएगा।”

बताते चलें कि मिश्रा दिल्ली में लगभग 30 वर्षों से राजनीति करते हुए एक बार पार्षद और लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं। तद्पश्चात वह 2009 में सांसद चुने गए थे।

टीवी इंटरव्यू में मिश्रा ने कहा कि चुनाव जीतते ही वह पहला काम पश्चिमी-दिल्ली में एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनवाने का करेंगे, और साथ ही साथ अपने लोक सभा क्षेत्र की सभी (10) विधान-सभाओं में एक-एक स्किल-सेंटर बनवाएंगे ताकि युवाओं को रोज़गार मिल सके।

अपने आप को गरीबों का मसीहा बताते हुए, उन्होंने ये भी कहा कि जब-जब दिल्ली में कांग्रेस की, या फिर 2013 से आम आदमी पार्टी की, सरकार रही तब-तब अनधिकृत कालोनियों में बहुत काम हुआ।

“1993 से 1998 में दिल्ली में भाजपा की सरकार रही, उन पांच वर्षों में दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों में कोई काम नहीं हुआ। में दिल्ली में रहते हुए 1985 से गरीबों की लड़ाई लड़ रहा हूँ। दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने पिछले दस सालों में जो काम किये हैं उनका फायदा दिल्ली वासियों को हो रहा है। मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली, मुफ्त शिक्षा, मुफ्त स्वास्थय सुविधाओं से, और सरकारी बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त सफर से हर परिवार को हर महीने लगभग दस हजार रुपयों की मदद हो रही है।”

महाबल ने अपना राजनीतिक करियर दिल्ली नगर निगम के पार्षद के रूप में शुरू किया। 1997 में डाबरी वार्ड का प्रतिनिधित्व किया। 1998 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में वह नसीरपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। 2003 और 2008 के विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने नई दिल्ली की द्वारका सीट से चुनाव जीता था। 2009 में पश्चिमी दिल्ली से लोकसभा का चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंचे। इस बीच वे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस पर बनाई गई समिति के सदस्य भी रहे।

15वीं लोकसभा के लिए 2009 में हुए चुनावों में महाबल मिश्रा ने 55% वोट हासिल किए थे, और बीजेपी के जगदीश मुखी को एक लाख बीस हज़ार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। महाबल मिश्रा बिहार के मधुबनी जिले के सिरियापुर में 31 जुलाई 1953 में पैदा हुए। उन्होंने साइंस स्ट्रीम से बारहवीं करने के बाद मुजफ्फरपुर के एल.एस कॉलेज से ट्रंजिस्टर थ्योरी में डिप्लोमा किया।

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