राजस्थान में “खेला” शुरू, वसुंधरा मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ी

राजस्थान में "खेला" शुरू, रानी वसुंधरा मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ी

राजस्थान में "खेला" शुरू, रानी वसुंधरा मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ी

आलाकमान ने वसुंधरा से कहा “भाजपा विधायकों से मिली तो अच्छा नहीं होगा”; कल होना है नया CM तय

दिल्ली क्राउन ब्यूरो

नई दिल्ली/जयपुर: गत विधान-सभा चुनावों के बाद राजस्थान में नया/नई मुख्यमंत्री बनाने की कवायत तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार पूर्व मुख्तमंत्री और राजस्थान में कई सालों से धाकड़ नेत्री की छवि बनाये हुई वसुंधराराजे सिंधिया ने मुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी ताल और मुस्तैदी से ठोक दी है।

सूत्र बताते हैं कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की आँखों में आँख गड़ा कर, वसुंधरा से साफ़ कर दिया है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई समझौता नहीं होगा। मंगलवार, यानि कल 12 दिसंबर, को जयपुर में भाजपा विधायक दल की सुबह 10:30 बजे बैठक होनी है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्वक में भाजपा के पर्यवेक्षक आज रात को जयपुर पहुँच जाएंगे।

भाजपा में उच्च पद पर विराजमान एक नेता ने दिल्ली क्राउन को बताया – “आज पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने वसुंधराराजे को फ़ोन कर उनको विधान-सभा अध्यक्ष पद की पेशकश की। लेकिन रानी ने ऑफर ठुकरा दिया और साफ़ शब्दों में कह दिया की मुझे 1 साल के लिए मुख्यमंत्री बनाओ। फ़ोन पर बातचीत के दौरान नड्डा ने वसुंधरा को भाजपा विधायकों से ना मिलने की सख्त हिदायत भी दी।”

इस बीच वसुंधरा समर्थक विधायकों की एक अहम बैठक जयपुर में शुरू हो चूकी है, जिसमें आगे की “रणनीति” तय की जाने की सम्भावना है।

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और रानी वसुंधरा के बीच तल्खी कोई नई नहीं है। पिछले वर्षों में अपनी धाखड़ और रॉन्की छवि के लिए मशहूर वसुंधरा ने अनेक बार अपना वर्चस्व साबित करने के लिए पार्टी की आलाकमान को ठेंगा दिखाया है। बाकी राज्यों से भिन्न, उन्होंने अनेक बार सिद्ध करके दिखा दिया कि राजस्थान में भाजपा की कमान उनके हाथ में थी, है और रहेगी।

3 दिसंबर को चुनावी नतीजे आने के बाद से ही वसुंधरा मुख्य मंत्री पद हथियाने के लिए एड़ी छोटी का जोर लगाए हुए है। और, उधर शीर्ष नेतृत्व को रानी फूटी आँख नहीं सुहा रही है। जयपुर में राज्यपाल से मिलने के बाद, रानी दिल्ली का भी एक चकार लगा कर वापिस जयपुर आकर अपनी जुगत लगाने में पूरा ज़ोर लगाए हुए है।

चुनावी नतीजों के अनुसार, राजस्थान में कुल 199 सीटों में से भाजपा के पास 115, और कांग्रेस के पास 69 विधायक हैं। इसके अलावा, 8 निर्दलीय विधायक, बसपा के 2 विधायक, भारत आदिवासी पार्टी का 1, राष्ट्रीय लोक दल का 1, और राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी का 1 विधायक भी अगली सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं।

राजनीतिक पंडितों की माने तो अगर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने वसुंधरा को मुख्यमंत्री पद से नहीं नवाजा तो आगामी दिनों, या कुछ हफ़्तों/महीनों में रानी कोई बड़ा खेल कर सकती है।

एक वरिष्ठ राजस्थानी नेता के अनुसार, “गहलोत की पिछली सरकार में जब सचिन पायलट बागी पैंतरे अख्तियार किये हुए थे, तब रानी ने ही गहलोत सरकार को बचाने में अहम भूमिका निभाई थी। अब गहलोत वसुंधरा को रिटर्न गिफ्ट देने को तैयार बैठे हैं। अगर ज़रूरत पड़ी तो गहलोत अपने टोले में से एक-तिहाई विधायक रानी को सौंप सकते हैं, ताकि वह अगली सरकार अपने दम पर बना सके। राजस्थान राजनीति बाकी राज्यों से परे है। वसुंधरा और गहलोत में आपसी रिश्ते परदे के पीछे मजबूत रहे हैं ,और दोनों एक दुसरे की मदद करने में कतई नहीं हिचकते।”

भाजपा के कुल 115 विधायकों में से अधिकांश विधायक रानी वसुंधरा के समर्थक बताये जा रहे हैं।

राजस्थान की राजनीति में अगले 24 घंटे दिलचस्प होने वाले हैं! देखते हैं ऊँट किस करवट बैठता हैं!!

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