अल्पशिक्षित पार्षद करेगा छावला वार्ड का उद्धार, या करेगा बंटाधार ?

अल्पशिक्षित पार्षद करेगा छावला वार्ड का उद्धार, या करेगा बंटाधार ?

अल्पशिक्षित पार्षद करेगा छावला वार्ड का उद्धार, या करेगा बंटाधार ?

कोई है छठी पास तो कोई 12वीं !

दिल्ली क्राउन

नई दिल्ली, नवंबर 15: लंबे इंतज़ार के बाद अगले महीने की 4 तारीख को होने वाले दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव के लिए पर्चे भरे जा चुके हैं। प्राप्त आधिकारिक जानकारी के अनुसार मटियाला विधान सभा के अंतर्गत आने वाले छावला वार्ड (संख्या 125) के प्रत्याशियों में से कोई भी ग्रेजुएट नहीं है।

सबसे कम शिक्षित उम्मीदवार छठी पास है, तो सबसे अधिक पढ़ा-लिखा प्रत्याशी है बारहवीं पास !

आम आदमी पार्टी (AAP), जो कि इस बार भाजपा का MCD से सफाया कर अपनी “सरकार” बनाने का दम भर रही है, ने “जीता नम्बरदार” (उम्र 49 वर्ष) को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। दिल्ली चुनाव आयोग में भरे पर्चे के अनुसार जीता नम्बरदार का असली नाम जगदीश पुत्र लाखी राम है, और दीनपुर गांव का निवासी है।

“नम्बरदार साहब” ने सिर्फ छठी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की है। उनके नाम चल व अचल संपत्ति की कीमत करीब 16 करोड़ रूपए है, जबकि उनकी पत्नी राज बाला देवी 5 करोड़ रूपए की संपत्ति की मालकिन हैं। पेशे से “नम्बरदार जी” बिल्डर हैं। जीता नम्बरदार उर्फ़ जगदीश ने अपने नामांकन पत्र पर हिंदी में हस्ताक्षर किये हैं।

जीता नम्बरदार के पुत्र अक्षय शौकीन (उम्र 25 वर्ष) ने भी आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल किया है, जो कि सिर्फ एक औपचारिकता बतायी जा रही है। अक्षय को अपने पिता का “कवर-उप प्रतियाशी” माना जा रहा है। किसी कारणवश जीता नम्बरदार का नामांकन समीक्षा के दौरान अगर रद्द हो जाता है तो उस स्थिति में अक्षय शौकीन ही “आप” के उम्मीदवार हो सकते हैं। और ऐसी परिस्थिति में अगर अक्षय शौकीन चुनाव जीतने में सफल हो जाते हैं, तो ही छावला वार्ड को एक ग्रेजुएट पार्षद मिल सकता है !

अगर भाजपा के प्रत्याशी शशि यादव (उम्र 31 वर्ष), पुत्र ओम प्रकाश यादव, के नामांकन पत्र पर नज़र डालें तो वे गांव कांगनहेड़ी के निवासी हैं और सिर्फ 12वीं कक्षा तक पढ़े हैं। उनके पास 1,11,500 रूपए की धन राशि और बैंक खाते में मात्र 51,000 रूपए हैं। उनके नाम 162,000 रूपए के सोने के जेवर हैं। चल व अचल संपत्ति की कुल कीमत लगभग 3,37,000 रूपए है, जबकि उनकी पत्नी सोनम यादव करीब 14,50,000 रुपयों की संपत्ति की मालकिन हैं। गौर करने की बात है की शशि यादव के नाम एक भी वाहन नहीं है।

किसी वजह से नामांकन रद्द होने की स्थिति में प्लान-B के तहत शशि यादव ने अपने भाई शांत यादव (उम्र 28 वर्ष) का भी पर्चा भरवाया है। अपने नामांकन में शांत यादव ने भी भाजपा का उम्मीदवार होने का दावा किया है। शांत यादव की शैक्षणिक योग्यता ओपन स्कूल से 12वीं पास है।

वहीँ तीसरी प्रमुख पार्टी “कांग्रेस” के उम्मीदवार के रूप में सुखबीर सिंह (उम्र 45 वर्ष), पुत्र जिले सिंह, सामने आये है। सुखबीर दीनपुर के रहने वाले हैं और 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात उन्होंने ITI के एक कोर्स भी किया है। उनके नाम करीब छह करोड़ रूपए की संपत्ति है जबकि उनकी पत्नी संतोष 25 लाख रूपए की संपत्ति की मालकिन है।

सुखबीर सिंह ने भी अपना नामांकन रद्द होने की स्थिति में एहतियातन अपनी पत्नी संतोष (उम्र 42 वर्ष) का पर्चा भी कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में भरवाया है। संतोष ने छठी कक्षा तक शिक्षा अर्जित की है।

इसी बीच छावला वार्ड में एक आज़ाद उम्मीदवार सतबीर सिंह (उम्र 57 वर्ष), पुत्र दीप चंद, चुनावी मैदान में हैं। सतबीर सिंह गांव घुमन्हेड़ा के निवासी हैं। दसवीं पास सतबीर सिंह ने नामांकन पत्र में अपने आप को समाज-सेवक बताया है। उनके नाम चल व अचल संपत्ति की कीमत करीब 9 करोड़ 50 लाख रूपए आंकी गई है।

सतबीर सिंह, जो अपने गांव में “सतिया” के नाम से भी जाने जाते हैं, पहले भी अपनी चुनावी किस्मत आज़मा चुके हैं। हालांकि चुनाव हार गए, लेकिन पार्टियों के निशान पर लड़ रहे तत्कालीन उम्मीदवारों का चुनावी समीकरण/गणित बिगाड़ने में कामयाब रहे। पिछले दो दशकों में सतबीर सिंह अलग-अलग कारणों से चर्चा में रहे हैं। उनके गांव के एक व्यक्ति की माने तो सतबीर सिंह ने अपने जीवन में भिन्न-भिन्न प्रकार की सरकारी नौकरियां भी की हैं। वे अपने गांव घुमन्हेड़ा में कुश्ती-दंगल व देशयोरी काज करवाने के लिए खूब चर्चा में रहे हैं। हालांकि पिछले कई वर्षों से ऐसी कोई इवेंट नहीं करवा पाए।

पाठकों को बताते चलें कि इस साल मार्च-अप्रैल के होने वाले MCD चुनाव, जो कि टाल दिए गए थे, के दौरान तत्कालीन “घुमन्हेड़ा” नाम के वार्ड से शशि यादव ने अपनी पत्नी सोनम यादव को चुनावी जंग में उतारा था, जबकि सतबीर सिंह अपनी पत्नी प्रीती यादव के नाम पर चुनावी दांव खेलने कि जुगत में थे। उस वक़्त जीता नम्बरदार उर्फ़ जगदीश और सुखबीर सिंह ने चुनावी रण में रूचि नहीं दिखाई थी।

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