केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी में गुरुग्राम की मेयर का हुआ घोर अपमान

केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी में गुरुग्राम की मेयर का हुआ घोर अपमान

केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी में गुरुग्राम की मेयर का हुआ घोर अपमान

अपने सम्बोधन में किसी मंत्री या अफसर ने नहीं लिया मेयर राजरानी का नाम

दिल्ली क्राउन ब्यूरो

गुरुग्राम: कहा जाता है कि किसी भी शहर का/की पहला/पहली नागरिक मेयर होता/होती है। और यह भी कहा जाता है कि एक शहर में सबसे शक्तिशाली, या महत्वपूर्ण, शक्शियत मेयर होता/होती है। चार महीने पूर्व गुरुग्राम शहर को पहली जनता द्वारा सीधे चुनी हुई मेयर मिली। नाम है राजरानी मल्होत्रा।

2 अगस्त को मेयर साहिबा एक सरकारी कार्यक्रम में पहुंची, लेकिन उनकी मौजूदगी को सिरे से नकारा गया। मंच पर मौजूद किसी भी केंद्रीय मंत्री, हरियाणा के मंत्री या अधिकारियों ने मेयर साहिबा की तरफ देखा भी नहीं, और वे चुपचाप एक कोने में बैठी रहीं।

मौका था “वन महोत्सव” का, जिसमे “मैत्री वन” नाम के एक सरकारी कार्यक्रम की शुरुआत होनी थी, और कार्यक्रम रखा गया था गुरुग्राम के सेक्टर 54 में। मंच पर आसीन थे केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, हरियाणा के पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह, गुरुग्राम के विधायक मुकेश शर्मा, सोहना के विधायक तेजपाल तंवर व अन्य अधिकारी।

कार्यक्रम की अध्यक्षकता राज्य मंत्री राव नरबीर सिंह ने की थी।

कार्यक्रम शुरू होने के कुछ देर बाद मेयर राजरानी मल्होत्रा मंच पर आती हुई दिखी, और प्रथम पंक्ति के एक कोने में रखी हुई कुर्सी पर बैठ गईं। भाषणों का दौर शुरू हुआ, लेकिन अपने उद्बोधन में किसी भी मंत्री या अधिकारी ने मेयर साहिबा का नाम तक नहीं लिया। प्रोटोकॉल के हिसाब से तो अपने उद्बोधन में हर वक्ता को मेयर साहिबा का नाम सबसे पहले लेना चाहिए था।

कार्यक्रम के दौरान एक बुकलेट का विमोचन भी हुआ। मंच पर आसीन सभी नेताओं और अधिकारियों ने बुकलेट का फीता खोल कर विमोचन किया, लेकिन मेयर साहिबा खाली हाथ ही खड़ी दिखाई दीं।

और तो और, कार्यक्रम के सरकारी-आमंत्रण में दोनों केंद्रीय मंत्रियों, राज्य मंत्री और दोनों विधायकों का नाम लिखा गया था, लेकिन मेयर साहिबा का नाम नदारद था।

और यह सब हुआ तब जब राज्य में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार है, वह पार्टी जो महिला शशक्तिकरण का बखान करते हुए थकती नहीं। भाजपा हमेशा महिलाओं को 33% आरक्षण देने की पक्षधर भी दिखाई देती है। लेकिन ज़मीन पर एक महिला मेयर का अपमान हुआ, और किसी की नज़र नहीं पड़ी। ये कैसा दोहरा मापदंड है ? चार महीने पूर्व हुए चुनावों में गुरुग्राम मेयर का पद महिला के लिए आरक्षित रखा गया था, उद्देश्य था महिला शशक्तिकरण का। लेकिन २ अगस्त को जो घटित हुआ, वह तो महिला मेयर का सरासर अपमान था।

अगर महिलाओं के नाम पर ऐसे खोखले वादे और नारे ऐसे ही लगते रहे, और चुनी हुई महिलाओं का ऐसे ही अपमान होता रहा, तो आने वाले सालों में हमारा देश किस दिशा की ओर जाएगा, इसका भगवान ही मालिक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *