गांव घुमन्हेड़ा में सरकारी ज़मीन का एक टुकड़ा बना हुआ है खूनी संघर्ष का सबब
दिल्ली पुलिस चुस्त, स्थानीय प्रशाशन सुस्त
समीक्षा मिश्रा
नई दिल्ली, मार्च 6 (दिल्ली क्राउन): दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के घुमन्हेड़ा गाँव में लगभग 1200 गज सरकारी ज़मीन का एक टुकड़ा खूनी संघर्ष का कारण बना हुआ है। जहाँ कुछ लोग (भू-माफिया) इस ज़मीन के टुकड़े पर कब्ज़ा कर हड़पने की फिराक में हैं, वहीँ अन्य ग्रामीण स्थानीय पुलिस और प्रशाशन को बार-बार गुहार लगा चुके हैं कि इस सरकारी जमीन को बचा कर इसकी चार दीवारी की जाए और इसमें सार्वजनिक स्थल जैसे पार्क, ओपन जिम, इत्यादि बना दिया जाये।
पिछले दो हफ़्तों में दो बार पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा, जबकि स्थानीय पटवारी ललित कुमार राणा व नायब तहसीलदार नवीन कुमार के कानों पर जूँ तक नहीं रेंग रही।
ऐसे में घुमन्हेड़ा वासियों का स्थानीय प्रशाशन के अफसरों पर भू-माफिया से “मिलीभगत और भष्टाचार” में लिप्त होने का आरोप है।
16 फ़रवरी को 100 नंबर पर कॉल कर पुलिस को बुलाया गया था, और आज एक बार फिर स्थानीय पुलिस के हस्तक्षेप से एक संभावित खूनी संघर्ष को होने से रोका गया।
छावला पुलिस स्टेशन के SHO पंकज कुमार का कहना है कि उसको जब तक स्थानीय SDM हरी झंडी नहीं दे देते, वह इस केस में आरोपियों के खिलाफ कलंदरा नहीं काट सकता।
पिछले लगभग 10 सालों से यह सरकारी ज़मीन का टुकड़ा एक बड़े विवाद का मुद्दा बना हुआ है। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद जब
“द दिल्ली क्राउन” ने स्थानीय पटवारी ललित कुमार राणा व नायब तहसीलदार नवीन कुमार से संपर्क साधा तो कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।
शुरू में कहा गया कि जो जानकारी चाहिए उसको लिखित में दें। पिछले तीन महीनों से “द दिल्ली क्राउन” का एक लिखित पत्र स्थानीय पटवारी ललित कुमार राणा व नायब तहसीलदार नवीन कुमार के समक्ष विचाराधीन है। जवाब वांछित है।
पिछले तीन महीनों में जब भी “द दिल्ली क्राउन” ने स्थानीय पटवारी ललित कुमार राणा व नायब तहसीलदार नवीन कुमार से संपर्क साधा तो एक नया बहाना बनाकर मामले को टालने की कोशिश की गयी। हद तो तब हो गयी जब स्थानीय पटवारी ललित कुमार राणा ने यह कर कर पल्ला झाड़ने की कोशिश करनी चाहि कि उसके संज्ञान में ऐसा कोई विवाद है ही नहीं ! दिल्ली पुलिस गांव में चक्कर काट रही है और पटवारी साहब की आँखों पर पट्टी बंधी है !!
एक बार फ़ोन करने पर स्थानीय पटवारी ललित कुमार राणा का कहना था कि जिस जमीन के टुकड़े पर विवाद है उसकी व्हाट्सप्प लोकेशन उनको भेजी जाए। व्हाट्सप्प लोकेशन भेजे हुए भी 2 हफ्ते हो चुके हैं, लेकिन पटवारी साहब अभी भी कोई कार्यवाही करने के मूड नहीं नहीं हैं !
जहाँ स्थानीय प्रशाशन के अफसर अपनी आँखें मूंदे बैठे हैं, वहीँ घुमन्हेड़ा गांव में कभी भी एक बड़ा काण्ड हो सकता है, ऐसा भय गाँव वालों को लगातार सता रहा है। इस मसले पर गाँव वाले पिछले लगभग एक दशक से अलग-अलग स्तरों पर चिट्ठी लिख कर मांग कर चुके हैं कि इस विवादित सरकारी ज़मीन के टुकड़े की सही से पैमाइश कर इसको चिन्हित किया जाना चाहिए ताकि इस पर कोई भी शक्श गैर-कानूनी ढंग से कब्ज़ा न कर सके।
लेकिन लगता है स्थानीय प्रशाशन की नींद तभी खुलेगी जब घुमन्हेड़ा गांव में एक खूनी संगर्ष हो चुका होगा।