दिल्ली निगम चुनाव टल गए कम से कम डेढ़ साल!

दिल्ली निगम चुनाव टल गए कम से कम डेढ़ साल!

संसद में नगर निगम एक किए जाने का बिल पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय

अब उनका क्या होगा जिन्होंने लाखों रूपए उड़ा दिए पोस्टरों और भंडारों में!!

पंकज पत्रकार यादव

नई दिल्ली , मार्च 25 (दिल्ली क्राउन): दिल्ली नगर निगम के चुनाव अगले महीने, यानी अप्रैल में होने थे। लेकिन केंद्र सरकार के सीधे हस्तक्षेप के बाद ये चुनाव अब कम से कम डेढ़ साल के लिए टाल दिए गए हैं।

आज लोक सभा में पेश हुए बिल के अनुसार दिल्ली में अब सारे वार्ड एक नए सिरे से बनाये जाएंगे, और तब तक केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक “स्पेशल अफसर” दिल्ली में निगम (MCD) का काम देखेगा।

बिल के अनुसार दिल्ली में अब 272 वार्डों की जगह 250 वार्ड ही बनाये जाएंगे, और सभी 250 पार्षद एक ही छत के नीचे बैठेंगे।

मतलब साफ़ है कि अब दिल्ली नगर निगम के चुनाव 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव के साथ, या फिर उसके आसपास करवाए जाएंगे।

इस बिल के आने के बाद, और निगम चुनावों में इतनी अनिश्चितता आने के बाद, अगर सबसे बड़ा नुक्सान किसी का हुआ है तो वो उनका जिन्होंने हाल ही में आई एक नयी सूची (जिसमें आरक्षित वार्डों में फेरबदल किया गया था) के बाद से टिकट पाने की फिराक में पोस्टरों, बैनरों व बड़े-बड़े भंडारे आयोजित करने में पैसा पानी की तरह बहा दिया था।

ऐसे लोगों पर तो मानो छाती पर सांप लौट गया हो। हाथ मल-मल कर छाती पीट रहे हैं।

दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली में जहाँ नजर दौड़ाओ वहीँ पर, चाहे बिजली के खम्बों पर या सरकारी बिल्डिंगों की दीवारों पर, पोस्टरों बैनरों का अम्बार दिखाई पड़ता है। हर पार्टी के टिकटार्थियों में होड़ सी लग गयी थी।

घुमन्हेड़ा वार्ड, जो कि पहले अनुसूचित जाती के लिए आरक्षित था, उसे हाल ही में जारी सूची में बदल कर महिला वार्ड बना दिया गया था। जिन महिलाओं को क्षेत्र में कोई नहीं जानता था, उनके पतियों ने उनकी बड़ी-बड़ी फोटो लगाकर बड़े-बड़े पोस्टर बैनर बिजली के खम्बों पर टंगवा दिए थे। अब उन पोस्टरों बैनरों का क्या होगा, और कब तक वो बिजली के खम्बों को सोभायमान करते रहेंगे?!

घुमन्हेड़ा गांव के एक महानुभाव ने तो अपनी पत्नी के नाम पर टिकट पाने की चाह में, और अपना शक्ति-प्रदर्शन करने के लिए, एक नहीं, दो नहीं, बल्कि तीन-तीन बड़े भंडारे आयोजित कर दिए थे, जिनमे अगर अनुमान लगाया जाए तो लगभग 20 लाख रूपए तो खर्च हुए होंगे। उस महानुभाव ने पोस्टरों बैनरों पर जो खर्चा किया वो अलग है!

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