छावला वार्ड जीतने के लिए भाजपा लगा रही एड़ी चोटी का जोर, लेकिन क्या सफलता मिलेगी ?
वार्ड में जातीय समीकरण भाजपा के विरोध में जाते हुए दिख रहे
दिल्ली क्राउन
नई दिल्ली, नवंबर 27: निगम चुवान के चलते दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली के छावला वार्ड में भाजपा ने अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया हुआ है। पिछले एक हफ्ते में भाजपा के कई वरिष्ठ नेता, जिनमे सांसद भी शामिल हैं, इस वार्ड से पार्टी के उम्मीदवार के लिए वोट मांगते हुए दिखे।
आज (रविवार) भाजपा केंद्रीय संसदीय बोर्ड व केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्या एवं पूर्व लोक सभा सांसद सुधा यादव इस वार्ड में चुनाव प्रचार करती हुई दिखी।
इस से पूर्व लोक सभा सांसद व भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या अपनी पार्टी के प्रत्याशी के लिए गली-गली घूमते हुए पर्चे बाँटते हुए भी देखे गए थे। इस हफ्ते की शुरुआत में स्थानीय सांसद प्रवेश वर्मा ने भाजपा प्रत्याशी के गाँव कांगनहेड़ी में एक कार्यालय का उदघाटन किया व एक सभा को सम्बोधित भी किया था।
उस से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) ने निकले हुए पूर्व विधायक और आज के भाजपा नेता कपिल मिश्रा के साथ हमेशा विवादों में घिरे रहने वाले तेजिंदर बग्गा भी यहाँ के भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगते हुए नज़र आये थे।
पार्टी के सूत्रों की माने तो अभी कई और भाजपा के शीर्ष नेता, जिनमे कई जाने-माने चेहरे हैं, भी इस वार्ड में चुनाव प्रचार के लिए आने वाले हैं।
नजफगढ़ के आसपास के अन्य वार्डों पर नज़र डालें, या कहें तो पूरी दिल्ली में किसी भी वार्ड में एक-के-बाद-एक इतने स्टार प्रचारकों ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया जितना फोकस छावला वार्ड पर भाजपा ने किया हुआ है। आखिर ऐसा क्या है छावला वार्ड में कि यह भाजपा की नाक का सवाल बना हुआ है ?
इसका जवाब ढूंढ़ने के लिए “दिल्ली क्राउन” (www.thedelhicrown.com) ने कोशिश की तो पाया की छावला वार्ड से भाजपा के प्रत्याशी अपनी पार्टी की दिल्ली प्रदेश इकाई के युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष हैं, इसलिए इतने सारे स्टार प्रचारकों को अपने वार्ड में खींचने में सफल हो रहे हैं।
अगर छावला वार्ड में जातीय समीकरण पर नज़र डालें तो कम से कम भाजपा के प्रत्याशी की जीत पर एक बड़ा सवालिया निशाँ है। वह इसलिए चूँकि वार्ड के अंतर्गत आने वाले घुमन्हेड़ा गांव से आज़ाद उम्मीदवार भाजपा की जीत की राह में रोड़े अटकाते हुआ दिखाई पड़ता है। यह आज़ाद उम्मीदवार और भाजपा का प्रत्याशी दोनों ही यादव समाज से आते हैं, और इस वजह से इस समाज की वोटों में ज़बरदस्त बिखराव है।
पूर्व (2007) में भी घुमन्हेड़ा गांव के इसी आज़ाद उम्मीदवार ने भाजपा व कांग्रेस पार्टियों के उम्मीदवारों के चुनावी समीकरण बिगाड़ने का काम किया था। इसका जिक्र सांसद प्रवेश वर्मा ने कांगनहेड़ी की सभा में बोलते हुए भी किया था।
घुमन्हेड़ा गॉंव वाले आज़ाद प्रत्याशी का दबदबा अपने गांव से सटे हुए कई गावों, जैसे की रावता, गालिबपुर, दौराला, झुलझुली, दरियापुर, हसनपुर, खेड़ा-डाबर व अन्य, में माना जाता है, जबकि भाजपा प्रत्याशी का अपने गॉंव कांगनहेड़ी के अलावा अपनी पार्टी की परम्परागत वोटों पर वर्चस्व है।
दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के उम्मीदवारों के अलावा छावला गांव से एक आज़ाद उम्मीदवार भी मैदान में है। ये तीनों उम्मीदवार जाट समुदाय से आते हैं, और इनका भी आपस में वोटों का जबरदस्त बिखराव है। AAP और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार दीनपुर गांव के निवासी हैं। साफतौर पर दोनों में से AAP का उम्मीदवार का पलड़ा ही भारी नज़र आता है। वार्ड में आने वाली कॉलोनियों के लोग भी AAP के गुणगान गाते नज़र आते हैं इसलिए उनकी वोट भी केजरीवाल की पार्टी की ही मानी जा रहीं हैं।
इस बार छावला गॉंव में किसी भी पार्टी की टिकट ना मिलने से वहां के लोगों में भारी रोष है। ऐसे में छावला निवासियों ने अपने आज़ाद उम्मीदवार को वोट और नोट देने का फैसला किया है।
वार्ड में लगभग 14,000-15,000 अनुसूचित जातियों के मतदाता हैं। ये मतदाता परंपरागत भाजपा के विरोधी रहे हैं और कांग्रेस या अन्य पार्टियों के समर्थक के तौर पर देखे गए हैं। अब जबकि कांग्रेस पार्टी कमज़ोर हालत में है, ऐसे में अनुसूचित जातियों से सम्बन्ध रखने वाले मतदाताओं का वोट आम आदमी पार्टी (AAP) की तरफ खिसकता हुआ दिखाई पड़ता है।
मौजूदा परिस्तिथियों में छावला वार्ड में अनुसूचित जातियों के मतदाता ही निर्णायक भूमिका में दिखाई पड़ते हैं। अगर अनुसूचित जातियों के मतदातों को निर्णायक माने तो छावला वार्ड में AAP के उम्मीदवार का जीतना तय है।
निगम चुनाव में मतदान दिसंबर 4 को है, तब तक कई बार चुनावी समीकरण बनते और बिगड़ते देखे जाएंगे। चुनावी नतीजे दिसंबर 7 को आने हैं।