डी.पी. यादव ने निकाली पुरानी टीस, मुलायम-अमर सिंह के सिर फोड़ा अहीर रेजिमेंट ना होने का ठीकरा

डी.पी. यादव

डी.पी. यादव

बोले उन्होंने हमेशा से अहीर रेजिमेंट की मांग उठायी

नई दिल्ली, दिस. 31 (दिल्ली क्राउन):  उत्तर प्रदेश के ही नहीं, उत्तर भारत के जाने-माने बाहुबली नेता डी.पी. यादव, जो कि हाल ही में कई साल बाद जेल से बाहर आये हैं, ने गुरूवार को अपने राजनीतिक गुरु मुलायम सिंह यादव व उनके सिपाह-सलाकार स्वर्गीय अमर सिंह को अहीर रेजिमेंट ना गठित होने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के पास चौबीसा क्षेत्र के औरंगाबाद गांव में एक सभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में जब वो सांसद थे और मुलायम सिंह यादव देश के रक्षा मंत्री थे, तब उन्होंने जोर-शोर से अहीर रेजिमेंट की मांग उठायी थी. लेकिन अमर सिंह ने रोड़ा अटकाया था.

“मेरे द्वारा लोक सभा में अहीर रेजिमेंट की मांग उठाने के तुरंत बाद अमर सिंह ने मुझे बहार गैलरी में पकड़ लिया, और कहा कि तुम हमारी बेइज्जती करवाओगे. मैंने अहीर रेजिमेंट की मांग उठाने में कभी कमी नहीं छोड़ी,” डी.पी. यादव बोले.

मौका था औरंगाबाद गांव में राव तुलाराम की मूर्ती के अनावरण का. मंच पर केंद्रीय मंत्री इंदरजीत सिंह यादव भी मौजूद थे, जो राव तुलाराम के वंशज माने जाते हैं.

1980 के दशक से लेकर 1998-99 तक डी.पी. यादव और मुलायम सिंह यादव साथ थे. उस समय डी.पी. यादव ने अपने राजनितिक गुरु मुलायम सिंह यादव का तन, मन, धन और ‘बल’ से भरपूर साथ दिया. बदले में मुलायम सिंह ने डी.पी. को अपने मंत्रिमंडल में जगह दी और भरपूर राजनीतिक ‘संगरक्षण’ भी दिया. कई बार संगीन मामलों से बचाया भी.

दोनों में अति घनिश्ठता थी. लेकिन सन 2000 के बाद जैसे ही अमर सिंह की नज़दीकियां नेताजी मुलायम सिंह से बढ़ीं, डी.पी. यादव दूर होते चले गए.  मुलायम सिंह ने डी.पी. को लोक सभा का टिकट देने से इंकार कर दिया, और उधर विकास यादव का बहु-चर्चित “जेसिका लाल मर्डर केस” में नाम आना और उसके तुरंत बाद “नितीश कटारा मर्डर केस” हो जाना, ये सब डी.पी. के लिए बहुत मेहेंगा साबित हुआ.

मुलायम के बाद अखिलेश ने समाजवादी पार्टी की कमान संभाली. डी.पी. को पार्टी में शामिल करने की कई कोशिशें हुईं, पर नाकामयाब रहीं.

एक बार बदायूं में राम गोपाल यादव के कहने पर वहां के तब के सांसद धर्मेंद्र यादव डी.पी. को एक आम सभा में ले गए , लेकिन शाम होते अखिलेश ने लखनऊ से फतवा जारी कर दिया कि  अपराधियों की उनकी पार्टी में कोई जगह नहीं होगी.

आज डी.पी. यादव भाजपा का दामन थामे हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुकंदशहर क्षेत्र से अपने परिवार के किसी सदस्य को चुनावी मैदान में उतारने की जुगत में लगे हैं. डी.पी. खुद बुलन्दहहर से कई बार विधायक रह चुके हैं. गुरूवार को औरंगाबाद की सभा में डी.पी. ने लोगों को अपने जमाने की याद दिलाते हुए चिरपरिचित अंदाज़ में पूछा – “हाथ उठा कर बताओ कि आने वाले समय (चुनाव) में साथ दोगे…?”

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