पटौदी की जंग में कांग्रेस प्रत्याशी पर्ल चौधरी दे रही भाजपा की बिमला को कड़ी टक्कर; अहीर मतदाता निर्णायक भूमिका में !
क्या टिकट कटने से नाराज मौजूदा विधायक जरावता करेंगे कोई बड़ा खेल ?
दिल्ली क्राउन
पटौदी, सितम्बर 14: पटौदी विधान-सभा में इस बार महिलाओं की लड़ाई है। शायद ऐसा पहली बार हो रहा है। जहाँ एक तरफ भाजपा की पूर्व विधायक (2014) बिमला चौधरी एक बार फिर मैदान में है, वहीँ पूर्व विधायक (2005) स्वर्गीय भूपेंद्र चौधरी की बेटी पर्ल चौधरी कांग्रेस की टिकट पर अपना पहला चुनाव लड़ रही हैं। मुकाबला दिलचस्प है।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, फिलहाल बिमला चौधरी वोटों के गणित में थोड़ा सा आगे हैं, लेकिन पर्ल चौधरी एक सुशिक्षित उम्मीदवार होने के नाते तेजी से अपना जनाधार बनाती हुई नज़र आ रहीं हैं।
इस विधान-सभा में लगभग ढाई लाख (2,50,000) मतदाता हैं। अगर अनुमान के मुताबिक 70% मतदान होता है तो सारा खेल लगभग 1,75,000 मतों का है। द्विपक्षीय मुकाबले में 65,000-70,000 वोट लेने वाली प्रत्याशी चुनाव जीत सकती है।
चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामों के मुताबिक़, जहाँ बिमला चौधरी सिर्फ दसवीं पास हैं, वहीँ पर्ल चौधरी L.L.B. की पढ़ाई करने के पश्चात सुप्रीम कोर्ट की काबिल वकील हैं। पर्ल चौधरी ने गुरुग्राम-स्थित इंग्लिश माध्यम के Our Lady Of Fatima Convent School से पढ़ाई की, और बाद में दिल्ली यूनिवर्सिटी से साइंस में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्रियां हासिल की।। इस लिहाज से पर्ल चौधरी पटौदी का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम दिखाई पड़ती हैं।
दक्षिण हरियाणा की इस आरक्षित सीट पर शायद पर्ल चौधरी से ज्यादा शिक्षित और अंग्रेजी बोलने वाला/ वाली प्रत्याशी इस से पहले मैदान में नहीं आया/आई। क्या पटौदी की जनता इस बार एक पढ़ी-लिखी प्रत्याशी को अपने प्रतिनिधि बनाएगी ? इस सवाल का जवाब 8 अक्टूबर को ही पता लगेगा जब EVMs से वोटों का आंकड़ा सामने आएगा।
पटौदी विधान-सभा अनुसूचित जाती के लिए आरक्षित सीट है। मतों के गणित के हिसाब से लगभग 53,200 दलित वोट (चमार, धानक, वाल्मीकि, जाटव, खटीक, बावरीआ, पेरना, आदि) इस विधान-सभा में हैं, जिनमे से सबसे बड़ा धड़ा चमार जाती के करीब 32,000 मतदाता हैं। पर्ल चौधरी चमार जाती से आती हैं, इस लिहाज से इस वोटबैंक में पर्ल चौधरी बाजी मारती हुई दिखाई पड़ती हैं।
सबसे अधिक, करीब 80,000 अहीर (यादव) मतदाता पटौदी विधान-सभा में बताये जाते हैं। राओ इंदरजीत सिंह की करीबी माने जाने वाली भाजपा प्रत्याशी बिमला चौधरी अहीर वोटों में एक बड़ी बढ़त लेती हुई नज़र आती हैं। इसके अलावा जाट (29,000) और ठाकुर (28,000) मतदाताओं में से बिमला चौधरी और पर्ल चौधरी का बराबर-बराबर का हिस्सा माना जा रहा है।
ब्राह्मण मतदाता लगभग 13,000 हैं, जिनको भाजपा का पारम्परिक वोटबैंक माना जाता है। यहाँ यह बताना भी जरुरी है की पर्ल चौधरी के पति ब्राह्मण जाती से हैं। इस लिहाज से पर्ल चौधरी ब्राह्मण समाज के वोटों में सेंधमारी कर सकती हैं।
मुसलमान वोटरों की संख्या लगभग 5000 हैं जो की पटौदी की मस्जिद के इर्द-गिर्द बसे हुए हैं। यह कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है।
उक्त जातीय समीकरण के मद्देनज़र, आज की तारीख में दोनों प्रतिद्वंदी लगभग बराबर वोटों पर खड़ी हुई हैं। जहाँ बिमला चौधरी करीब 80,000 वोटों पर हैं, वहीँ पर्ल चौधरी करीब-करीब 72,000 वोटों का समर्थन लिए हुए नज़र आ रहीं हैं। चुनाव के इस रण में अपनी टिकट कटने के बाद अगर भाजपा के मौजूदा विधायक सत्य प्रकाश जरावता कोई खेल कर देते हैं और 8,000-10,000 वोटों को इधर-उधर कर देते हैं, तो पर्ल चौधरी चुनाव जीतती हुई दिखाई पड़ती हैं।
हर बीतते हुए दिन के पश्चात मुकाबला दिलचस्प होता हुआ दिखाई दे रहा है। अब देखना है कि 8 अक्टूबर को पटौदी की जनता क्या निर्णय देती है…!