भाजपा में उठी मांग, संजय जोशी को यूपी में दी जाए पार्टी की कमान
हरियाणा बीजेपी के नेता जसवंत यादव ने जोशी के लिए जोरदार पैरवी की
नई दिल्ली, 12 जनवरी (दिल्ली क्राउन): उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से ब्राह्मणों का “मोह भंग होने” के बारे में पिछले कुछ दिनों से मीडिया में खबरें आ रही हैं। आगामी चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में चल रहे सभी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, पार्टी के नेतृत्व के एक वर्ग का विचार है कि संजय जोशी भाजपा के दिग्गज नेता और जाति से ब्राह्मण भी हैं, जो कि महाराष्ट्र नागपुर के रहने वाले हैं, उन्हें पार्टी से ब्राह्मणों के “पलायन” को रोकने के लिए शामिल किया जाना चाहिए।
हरियाणा के एक वरिष्ठ पार्टी नेता जसवंत यादव ने बुधवार को एक फेसबुक पोस्ट में जोरदार मांग करते हुए कहा कि संजय जोशी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका दी जानी चाहिए।पीएम मोदी के साथ काम करने का दावा करने वाले जसवंत यादव ने एक फेसबुक पोस्ट कर कहा कि “हमारी पार्टी में स्वामी प्रसाद मौर्य से कहीं ज्यादा मजबूत नेता हैं। हमें उनकी पहचान करने और उन्हें अपनी पार्टी की मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास करना चाहिए। वे निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश में पार्टी के लिए ब्राह्मण वोट लाने में मदद करेंगे।
यादव ने एक सुझाव देते हुए कहा कि “बहार मत ताको, अपने अंदर झांको।”
योगी सरकार में मंत्री रहे मौर्य ने हाल ही में समाजवादी पार्टी (एसपी) में शामिल होने के लिए भाजपा छोड़ दी थी। मौर्य का फैसला भाजपा के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि उनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें पिछड़ा वर्ग के बीच एक बड़ा समर्थन प्राप्त है। उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य वर्तमान में लोकसभा सांसद हैं।
दिल्ली क्राउन से बात करते हुए यादव ने कहा कि जोशी को वापस लाने के लिए पार्टी के रैंक और फाइल के भीतर से मांग बढ़ रही है। कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों का एक बड़ा वोट बैंक है।उन्होंने आगे बताया कि “कई वरिष्ठ और मध्यमवर्गीय भाजपा नेताओं का यह विचार है कि जोशी को पार्टी की मुख्यधारा में लाया जाए लेकिन उनमें बोलने की हिम्मत नहीं है। आज, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पार्टी और देश के हितों को ध्यान में रखते हुए यूपी में जीत सुनिश्चित करने के लिए तुरंत जोशी को शामिल करना चाहिए।”यादव ने बताया कि – “अगर हम इस बार यूपी में हार गए, तो 2024 में आम चुनाव पार्टी के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती खड़ी हो जायेगी।”
यादव ने आगे सुझाव दिया कि संजय जोशी पूरे देश में भाजपा और आरएसएस के कार्यकर्ताओं के बीच व्यापक पहुंच और अपील रखते हैं। तथा उल्लेखनीय संगठन कौशल भी रखते हैं।यादव ने कहा, “आज भी, पार्टी से अलग थलग होने के बावजूद भी गोल मार्केट में जोशी के कार्यालय के बाहर उनसे मिलने वालों की भीड़ लगी रहती है।”
उनके अनुसार, पार्टी चाहती है कि योगी आदित्यनाथ यूपी की सेवा करते रहें, और यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है यदि संजय जोशी को पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए राज्य में सक्रिय रूप से काम करने की अनुमति दी जाए।
जोशी और पीएम मोदी कभी करीबी दोस्त थे। किसी तरह कुछ निजी कारणों से दोनों अलग हो गए और तब से जोशी को भाजपा में कोई अहम भूमिका नहीं दी गई। अप्रैल 1962 में नागपुर में जन्मे जोशी प्रशिक्षण से मैकेनिकल इंजीनियर हैं। वह एक इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चरर थे, लेकिन महाराष्ट्र में पूर्णकालिक आरएसएस प्रचारक बनने के लिए 2000 में महासचिव के पद पर नियुक्त होने से पहले ही उन्होंने लेक्चरर पद से इस्तीफा दे दिया था।