दिल्ली नगर निगम चुनाव में हुई जम कर बोगस वोटिंग
चुनावी ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों की भी वोट डाल गए कोई और ! हज़ारों वोट मिलीं कटी हुई !!
दिल्ली क्राउन
नई दिल्ली, दिसंबर 4: आज (रविवार को) दिल्ली में हुए नगर निगम चुनाव में जम कर बोगस वोटिंग होने की खबरें मिली हैं। ख़ासतौर पर दिल्ली देहात में जहाँ गावों ने अपने-अपने उम्मीदवार खड़े किये हुए थे। ऐसे इलाकों में पोलिंग बूथों पर दिल्ली चुनाव आयोग के कर्मचारी स्थानीय लोगों के दबदबे के सामने असहाय नज़र आये।
हैरानी की बात तो यह है कि चुनावी ड्यूटी पर कार्यरत दिल्ली सरकार व MCD के कर्मचारियों की भी वोट डली हुई मिलीं ! इस से यह पता चलता है कि दिल्ली देहात के गावों में आपस की “मिलीभगत” और “भाईचारे” के चलते ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। पोलिंग एजेंटों के साथ “सेटिंग” की जाती है और तरीके से बोगस वोटिंग करवाई जाती है।
ऐसे सारे गांव जहाँ से कोई न कोई प्रत्याशी चुनावी मैदान में था वहां मतदान प्रतिशत 80% या उस से ऊपर रहा, जबकि पूरी दिल्ली में मतदान औसतन 50 प्रतिशत के नीचे ही रहा। यह अपने आप में एक चौकाने वाला आंकड़ा है, जिसका कड़ा संज्ञान दिल्ली चुनाव आयोग को लेना चाहिए।
कांग्रेस पार्टी की दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष अनिल चौधरी की भी वोट कटी मिली और यह खबर दिन भर मीडिया और सोशल मीडिया पर छायी रही।
दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली के मटियाला विधान-सभा के अंतर्गत आने वाले छावला वार्ड के घुमन्हेड़ा गांव में सैकड़ों की तादाद में बोगस वोट डाले जाने की घटनाएं सामने आई हैं। इस गांव से एक आजाद उम्मीदवार मैदान में था। ऐसी ही खबरें आसपास के गॉंव – कांगनहेड़ी और खैरा, से भी मिली हैं। इन गावों के भी उम्मीदवार अपनी-अपनी चुनावी किस्मत आज़मा रहे थे।
घुमन्हेड़ा गांव के एक निवासी पंकज यादव जब, शाम करीब 4:30 बजे, वोट डालने पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि उनका वोट तो डल चुका है। तुरंत ही मामला शांत करने के लिए वहां मौजूद पोलिंग एजेंट्स ने उनसे गुहार लगानी शुरू कर दी कि “आप किसी और का वोट डाल लीजिये।”
इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए जब पंकज यादव ने पीठासीन अधिकारी से अपने मताधिकार का प्रयोग करने की अपील की तो महिला अधिकारी ने बताया कि अब उनके पास TENDER VOTE करने का अधिकार ही बचा है।
“TENDER VOTE का नियम समझाते हुए महिला अधिकारी ने मुझे बताया कि आप अपने वोटर-कार्ड की फोटोकॉपी करवा कर लाईये और पांच रूपए की रशीद कटवाइए। मैंने उस महिला पीठासीन अधिकारी को कहा कि फोटोकॉपी करवाने का काम तो उनका (पीठासीन अधिकारी का) ही है। तद्पश्चात वहां मौजूद एक चुनाव कर्मचारी ने मेरे वोटर कार्ड की फोटो अपने फ़ोन में खींची, और फिर कहीं जाकर मुझे TENDER VOTE डालने दिया गया।”
वोट करने के पश्चात पंकज यादव ने पूरा प्रकरण अपने सोशल-मीडिया एकाउंट्स पर डालते हुए दिल्ली के चुनाव आयोग को बताया कि किस तरह से चुनाव में बड़ी संख्या में बोगस वोटिंग हुई है।
ऐसी ही खबरें पास के खैरा गॉंव, जो कि इस्सापुर वार्ड में आता है, से मिलीं। इस वार्ड में एक आजाद उम्मीदवार ऋतू दहिया कुंडू ने अपने फेसबुक पेज पर कई वीडियो डाले जिसमें ५:३० बजे के बाद भी लोग पोलिंग-बूथ में घुसते हुए दिखाई दिए।
वीडियो में आजाद उम्मीदवार ऋतू दहिया कुंडू वहां मौजूद पुलिस कर्मियों से ऐसे बोगस वोटरों को रोकने की गुहार लगाती हुई भी नजर आई।
बोगस वोटिंग की ऐसी ही कुछ घटनाएं छावला वार्ड के कांगनहेड़ी गांव से भी मिलीं। इस गॉंव का एक निवासी चुनाव मैदान में था। प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा के इस उम्मीदवार के पक्ष में वोट डलवाने के लिए अन्य सभी पार्टियों के उम्मीदवारों एवं आजाद उम्मीदवारों के एजेंट तो बस मूक दर्शक बन कर बैठे रहे और बोगस वोटिंग जारी रही।
चुनाव में अधिकारियों के प्रशिक्षण में उन्हें सिखाया जाता है कि किसी पोलिंग बूथ पर जब तक कोई पोलिंग एजेंट आपत्ति ना उठाये तब तक किसी वोटर को वोट डालने से ना रोका जाए। ऐसे में पोलिंग बूथ पर मौजूद चुनाव कर्मचारी भी सहज हो जाते हैं, और फोटो-युक्त इलेक्शन कमीशन के वोटर कार्ड का कुछ मायना नहीं रह जाता।
कायदे से तो हर पोलिंग बूथ पर तैनात चुनाव कर्मचारियों को हर वोटर के पहचान-पत्र पर लगी फोटो को पहचान कर ही मतदान करवाना चाहिए।