अरविन्द केजरीवाल देंगे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा, किए एक तीर से कई शिकार

अरविन्द केजरीवाल देंगे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा, किए एक तीर से कई शिकार

अरविन्द केजरीवाल देंगे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा, किए एक तीर से कई शिकार

दिल्ली विधान-सभा भंग नहीं होगी, AAP विधायक दल चुनेगा नया (नई) मुख्यमंत्री

दिल्ली क्राउन ब्यूरो

नई दिल्ली, सितम्बर 15:जेल से छूटने के दो दिन के बाद आज “आम आदमी पार्टी (AAP)” के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने आज यह कह कर सबको चौंका दिया कि वह 2 दिन के बाद मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी तह करेगी कि नया मुख्यमंत्री कौन होगा (या होगी)।

आज दिल्ली में अपने नए कार्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को सम्भोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा – “अब जब तक दिल्ली की जनता अपना फ़ैसला नहीं सुना देती है तब तक मैं CM की कुर्सी पर नहीं बैठूँगा। मैं आज से 2 दिन बाद मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दूंगा।”

इस्तीफे के घोषणा कर केजरीवाल ने एक तीर से कई शिकार कर दिए। पहला शिकार अपनी जानी-दुश्मन भारतीय जनता पार्टी (BJP), जो कि पिछले कई महीनों से दिल्ली में अगली सरकार बनाने के सपने देख रही थी। साथ ही साथ दिल्ली के कुछ इलाकों में कांग्रेस के बढ़ते मंसूबों पर भी पानी फेर दिया।

हाल में हुए लोक-सभा चुनवों में कांग्रेस पार्टी के बढ़ते हुए प्रदर्शन को देखते हुए ऐसा माना जा रहा था कि दिल्ली में भी एक दशक के बाद विधान-सभा में कांग्रेस का खाता खुल सकता है। लेकिन अब, केजरीवाल के इस्तीफे के बाद, कांग्रेस की हालत में कोई सुधार होता हुआ दिखाई नहीं पड़ता।

केजरीवाल ने इस्तीफे की घोषणा कर अगले शिकार केंद्रीय सरकार और उसकी “एजेंसियां” को बनाया जिन्होंने उन पर “झूठे केस” कर उनको जेल में डाला।

केजरीवाल के त्यागपत्र देने कि घोषणा का एक और कारण था – दिल्ली की जनता के बीच अपने और अपनी पार्टी की सहानुभूति लहर बनाना। दिल्ली में जनवरी-फरवरी 2025 में विधान-सभा चुनाव होने हैं, लेकिन केंद्र में बैठी सरकार का पिछले कुछ सालों का रुख देखा जाए तो दिल्ली में विधान-सभा चुनाव टल भी सकते हैं।

याद रहे कि दिल्ली में पार्षदी के चुनाव लगभग 1 साल टाले गए थे। इस फैसले का सबसे बड़ा कारण “भाजपा की हार का डर” माना गया था। दिल्ली नगर निगम चुनावों के दो साल बाद भी राजधानी में भाजपा की हालत में कोई सुधार नहीं आ पाया है, और 4 महीनों में होने वाले विधान-सभा चुनाव में भी भाजपा का प्रदर्शन कुछ अच्छा दिखाई नहीं पड़ता।

अगर समय पर चुनाव होते हैं तो अगले चार महीनों में आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व दिल्ली की जनता के बीच में जाकर अपने आप को ईंमानदार और कर्मठ होने के दावे कर वोट पकाने का काम करेगा। पिछले कई सालों से दिल्ली की जनता को फ्री बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, ट्रांसपोर्ट दे कर आम आदमी पार्टी ने पहले ही अपनी जड़ें मजबूत की ही हुई थी, और अब केजरीवाल के इस्तीफे के बाद सहानुभूति की लहर के बीच अपना जनाधार बढ़ाने का मौका मिल गया।

इन सब कार्यों का खामियाज़ा सिर्फ और सिर्फ भाजपा की दिल्ली इकाई को भरना होगा। चुनावों से ठीक 4 महीने पहले इस्तीफे देने की बात कर मानो केजरीवाल ने दिल्ली भाजपा की हवा ही निकाल दी हो।

अब देखना यह है कि दिल्ली में अगला मुखयमंती कौन होगा, या होगी। अगर केजरीवाल के काम करने का ढंग देखा जाए तो अगला मुख्यमंत्री सिर्फ और सिर्फ उनकी मर्जी से बनेगा, या बनेगी। जबसे अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में गए थे, तब से उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने पार्टी के कमान संभाली थी, और लोक-सभा चुनावों में बढ़-चढ़ कर भाषण दे कर राजनीति के गुर सीख लिए थे।

आम आदमी पार्टी के आज के हालातों को देखा जाए तो शायद पार्टी के भीतर ऐसा माहौल तैयार किया जाएगा कि आम राय से अरविन्द केजरीवाल कि पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। संविधान के अनुसार, कोई भी शक्श बिना विधायक बने ज्यादा से ज्यादा ६ महीने के लिए मुख्यमंत्री बन सकता है। लेकिन, ऐसा करने के पश्चात केजरीवाल को परिवारवाद के आरोपों को झेलना पड़ेगा, इस बात का भी ध्यान पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को बखूबी रखना पड़ेगा।

“आप” के मौजूदा हालातों में मुख्यमंत्री पद के लिए आतिशी मर्लेना को भी एक शशक्त कैंडिडेट माना जा रहा है। अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, या होगी, यह अगले 2 दिनों में साफ़ हो जाएगा।

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